साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
पटना, बिहार
1916 - 1961
जटिलतम चित्रकला सीख ली जा सकती है, सिर्फ़ अभ्यास ज़रूरी है। तुम्हारी बेढंगी रेखाओं को सीखना क्या? वे सीखी नहीं जाती। (दुर्वह ऊब में बर्बाद किया मेरा हर काग़ज़ का टुकड़ा मित्रों को तुम्हारी याद दिलाता। अत्रभवान्, अपराधी मुझे क्षमा करना)।
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