पीन पयोधर दूबरि गता (पद)

पीन पयोधर दूबरि गता।
मेरु उपजल कनक लता॥
ए कान्ह ए कान्ह तोरि दोहाई।
अति अपरुब देखलि राई॥
मुख मनोहर अधर रंगे।
फुललि मधुर कमल संगे॥
लोचन जुगल भृंग अकारे।
मधु मातल उड़ए न पारे॥
भउँहुक कथा पूछह जनू।
मदन जोड़ल काजर-धनू॥
भन विद्यापति दूति बचने।
एत सुनि कान्ह करु गमने॥


रचनाकार : विद्यापति
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चंदा जनि उग आजुक राति


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