साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
मधुबनी, बिहार
1380 - 1460
पीन पयोधर दूबरि गता। मेरु उपजल कनक लता॥ ए कान्ह ए कान्ह तोरि दोहाई। अति अपरुब देखलि राई॥ मुख मनोहर अधर रंगे। फुललि मधुर कमल संगे॥ लोचन जुगल भृंग अकारे। मधु मातल उड़ए न पारे॥ भउँहुक कथा पूछह जनू। मदन जोड़ल काजर-धनू॥ भन विद्यापति दूति बचने। एत सुनि कान्ह करु गमने॥
अगली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें