साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
1433 - 1540
पीआ राम रसु पीआ रे। (टेक) भरि भरि देवै सुरति कलाली, दरिआ दरिआ पीना रे। पीवतु पीवतु आपा जग भूला, हरि रस मांहि बौराना रे।। दर परि बिसरि गयौ रैदास, जनमनि सद मतवारी रे। पलु पलु प्रेम पियाला चालै, छूटे नांहि खुमारी रे।।
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