पर्वों का संदेश (आलेख)

छठ पर्व के साथ ही त्योहारों की शृंखला करवा चौथ, धनतेरस, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, चित्रगुप्त पूजन, लक्ष्मी पूजा, आँवला अष्टमी, गोपाष्टमी आदि का समापन उल्लास भरे माहौल में हम सभी ने अपनी रीतियों, विधियों, परंपराओं के अनुसार श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया।

हमारे जीवन में तीज, त्योहारों का अपना ही महत्व है। वास्तव में पर्व, त्योहार हमारे जीवन में ख़ुशियाँ लाते हैं, निराशा, मायूसी को पीछे छोड़ आगे बढ़ने का कारक बनते हैं, जीवन को बिखरने से बचाने में इनका अहम योगदान होता है, उत्साह का नया संचार होता है। हमें प्रकृति, परिवार, समाज, राष्ट्र और अखिल ब्रह्मांड से जोड़ने में तीज त्योहारों, पर्वों की बड़ी भूमिका है। जातिधर्म, मज़हब, संकीर्णता से दूर हमें विश्व बंधुत्व की सीख देते है। आपसी एकता, भाईचारा और सर्वहित की भावना भरते हैं।
ऐसे में हम सबका दायित्व बनता है कि हम भी तीज, त्योहारों, पर्वों, मान्यताओं को सम्मान देते हुए इनके वास्तविक उद्देश्यों को महत्व दें, उनका मान रखें। सद्भाव, एकता, भाईचारा, समरसता के एक एक सूत्र को पिरोएँ।

यही तीज त्योहारों, पर्वों का वास्तविक भाव, संदेश है।जिसकी सार्थकता को मूर्तरूप देना हम सबका उत्तरदायित्व है।


लेखन तिथि : 12 नवम्बर, 2021
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