साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
गौतम बुध्द नगर, उत्तर प्रदेश
1913 - 1989
वर्णों की क्वणित किंकणी छंदों की छम छम छागल धारण कर, कविता मेरी, तुम नाचो कर मन पागल! अधरों पर ललित गीति बन, प्राणों में ज्वलित प्रीति बन, नाचो नस नस, निर्झरिणी, बन सुधा, सुरा, हलाहल! ओ मुग्ध हृदय की देवी! लय और प्रलय की देवी! नाचो तुम जन्म-मरण में बन बन कर परिणति का फल!
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