साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
पराए दुख दर्द भी संलग्न हो गए। कष्टों ने तिनके से घोंसला बनाया। पीड़ा का एक शहर, कोलाहल छाया।। आदमकद आईने तक भग्न हो गए। ऋतुओं का ही पतझर भी एक रूप है। छाया थी जहाँ, वहाँ कटखनी धूप है।। मधुऋतु में हैं आम्रकुंज मग्न हो गए।
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