साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3571
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
पंख को आसमाँ चाहिए, ज़िंदगी को जहाँ चाहिए। धूप निकली हुई है यहाँ, औ उसे आस्ताँ चाहिए। दीप जलने लगे हैं अगर, पर्व को है अमाँ चाहिए। आसमाँ छत हुई है जहाँ, उस बशर को मकाँ चाहिए। रास्ते में अकेले चले, और अब कारवाँ चाहिए।
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