पंचतत्व (कविता)

पंच तत्वों से निर्मित मानव शरीर,
नभ, वायु, अग्नि, धरा तथा नीर।

आत्मा ने जब तन में किया प्रवेश,
जड़ चेतन हुआ मिला प्राणी वेश।

मन को दिया नभ सदृश्य स्वभाव,
पवन सी गति व सशक्त मनोभाव।

प्राणवायु परिचायक हर जीवन की,
अनिश्चित प्रकृति अनुभूति मन की।

अग्नि तत्व शक्ति व ऊर्जा प्रदायक,
जठराग्नि पाचन क्रिया में सहायक।

हाड़-मांस त्वचा कोशिका की रचना,
निर्मित मानव बाह्य सकल संरचना।

स्थूल तन भार वर्ण चुम्बकीय गुण,
धरा सम धैर्यता का मिला सद्गुण।

एंजाइम रस रक्त द्रव्य होते संचारित,
पोषक तत्व व ऊर्जा करते वितरित।

शरीर में शीतलता का प्रतीक है जल,
अस्तित्व के लिए अमीय जैवीय बल।

कुशल चितेरे सा अद्भुत ईश्वरीय सृजन,
सृष्टिकर्ता के नयनों का मोहक अंजन।।


रचनाकार : सीमा 'वर्णिका'
लेखन तिथि : 6 दिसम्बर, 2021
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