नवभोर (दोहा छंद)

सूर्यदेव अनुपम कृपा, मिले सकल संसार।
रोगमुक्त सुन्दर धरा, सुखदा पारावार।।

भव्या रम्या मनोहरा, श्वेताम्बर जगदम्ब।
वेदरूप माँ भारती, रोग शोक हर अम्ब।।

जय गणेश विघ्नेश प्रभु, लम्बोदर मतिमान।
हरो मनुज जग मूढ़ता, मति विवेक दो ज्ञान।।

मातु पिता वन्दहुँ चरण, जिनका बहु उपकार।
रनिवासर अर्पण स्वयं, संतति हित सुखसार।।

सूर्योदय बन ज़िंदगी, दिया ज्ञान आलोक।
नमन करूँ गुरुपाद को, बना मनुज हर शोक।।

अभिनन्दन नवभोर का, शुभ मंगल आभास।
हरो रोग विनती प्रभो, कवि निकुंज अभिलाष।।


लेखन तिथि : 17 मई, 2020
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