साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
धौलपुर, राजस्थान
1969
नव नूतन आशा रश्मि बिखरी दिशि चहुँओर, क्षितिज से आई सलज्ज मनभावन सी भोर। प्रफुल्ल उल्लिसित होकर तन मन महक उठा, नई रोशनी का स्वागत मन मयूर मचल उठा, आसमान से बदली आई घड़ घड़ करती शोर। क्षितिज... नव आगत के स्वागत में सूरज ने ली अँगड़ाई, अलसाई अलसाई सी धूप कण-कण में बिखराई, मौसम ने फेर लिया मन बन गया धूप का चोर। क्षितिज...
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