प्रशस्त पुण्य पंथ पर,
असंख्य दीप प्रज्ज्वलित।
सुमेरु मेरु का शिखर,
है दीप्तिमान नव वलित।
प्रमोद मोद मन सुमन,
सकल है दृष्टि धारती।
नमन तुझे माँ भारती,
नमन तुझे माँ भारती।
सुघोष घोष शान्त रव,
अखण्ड खण्ड है धरा।
सकल यह सिन्धु हिन्द का,
पवित्र इत्र से भरा।
माँ जाह्नवी की धार वह,
सकल है सृष्टि तारती।
नमन तुझे माँ भारती,
नमन तुझे माँ भारती।
तू सत्य सिंह वाहिनी,
वरद है हस्त धारिणी।
ध्वजा लिए तू हस्त में,
प्रबुद्ध जन है तारिणी।
तू विश्व की है पालिनी,
है आत्मा पुकारती।
नमन तुझे माँ भारती,
नमन तुझे माँ भारती।
असंख्य शुभ्र कीर्तियाँ,
अनंत नभ से आ रहीं।
जयति जयति है वंदना,
हैं चहुँ दिशाएँ गा रहीं।
सजा के थाल आरती,
स्वयं प्रभा उतारती।
नमन तुझे माँ भारती,
नमन तुझे माँ भारती।
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