नमन (घनाक्षरी छंद)

खगोलीय जहान हो, या गूँजता विमान हो,
अपने तिरंगे का तो, अलग मक़ाम है।

तकनीक का है जोर, चमके हैं चारों ओर,
पैर धरती पे म्हारे, हाथ में लगाम हैं।

कोशिशों की भरमार, युवा-अनुभवी ज्वार,
हिम्मतों के दिन संग, साहस की शाम है।

शत शत नमन है, उन महावीरों को जो,
दोनों कर एक कर, कर रहे काम हैं।


लेखन तिथि : 2023
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ज्ञान दीन
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