साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बलिया, उत्तर प्रदेश
1961
नफ़रतों से लड़ो प्यार करते रहो, अपने होने का इज़हार करते रहो। इतने अच्छे बनोगे तो मर जाओगे, थोड़े दुश्मन भी तय्यार करते रहो। ज़िंदगी से मोहब्बत करो टूट कर, मौत का काम दुश्वार करते रहो।
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