मिले न फूल तो काँटों से दोस्ती कर ली (ग़ज़ल)

मिले न फूल तो काँटों से दोस्ती कर ली
इसी तरह से बसर हम ने ज़िंदगी कर ली

अब आगे जो भी हो अंजाम देखा जाएगा
ख़ुदा तलाश लिया और बंदगी कर ली

नज़र मिली भी न थी और उन को देख लय्या
ज़बाँ खुली भी न थी और बात भी कर ली

वो जिन को प्यार है चाँदी से इश्क़ सोने से
वही कहेंगे कभी हम ने ख़ुद-कुशी कर ली


रचनाकार : कैफ़ी आज़मी
  • विषय : -  
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