मिले न फूल तो काँटों से दोस्ती कर ली
इसी तरह से बसर हम ने ज़िंदगी कर ली
अब आगे जो भी हो अंजाम देखा जाएगा
ख़ुदा तलाश लिया और बंदगी कर ली
नज़र मिली भी न थी और उन को देख लय्या
ज़बाँ खुली भी न थी और बात भी कर ली
वो जिन को प्यार है चाँदी से इश्क़ सोने से
वही कहेंगे कभी हम ने ख़ुद-कुशी कर ली
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें