मेरी निजी ज़ुबान है, हिन्दी ही दोस्तों,
मेरे लिए महान है, हिन्दी ही दोस्तों।
जो भी लिखूँ वही पढूँ, देखो तो ख़ासियत,
हम सबकी आन-बान है, हिन्दी ही दोस्तों।
अपनो के द्वारा नित्य, प्रताड़ित करी गई,
अब भी लहू-लुहान है, हिन्दी ही दोस्तों।
हिन्दी बिना लगती है, अधूरी सी ज़िन्दगी,
'शमा' के लिए जान है, हिन्दी ही दोस्तों।

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
