मेरे राम (कविता)

दशरथ कौशल्या सुत राम
अयोध्याधाम के राजा राम
केकई के वनवासी राम
हनुमान के सब कुछ राम।
असुरों, राक्षसों के संहारक राम
रावण, बालि बध कर तारे राम।
सुग्रीव विभीषण के मित्र राम
अहिल्या, शबरी के उद्धारक राम,
जनक के जमाई राम,
सीता के पति परमेश्वर राम।
मर्यादा की मूरत राम
अविचल अविनाशी राम
शांत सौम्यधारी राम
मातु-पितु आज्ञाकारी राम।
जन-जन में बसते हैं राम
कण-कण में समाहित राम,
धरती आकाश पाताल में राम
जीव निर्जीव सभी राम।
मेरे अंतर्मन में राम
मेरे प्यारे प्रभु श्री राम,
हैं मेरे उद्धारक राम
मेरे सब कुछ राम ही राम।
राम की महिमा राम ही जाने
अपने भक्तों को वो जाने
भक्तों के कष्ट मिटाते राम
ऐसे मेरे है श्री राम।


लेखन तिथि : 10 अप्रैल, 2022
यह पृष्ठ 321 बार देखा गया है
×

अगली रचना

हिंदू नव वर्ष और नवरात्रि


पिछली रचना

सीता
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें