मेरे मन का भार (कविता)

मेरे मन का भार प्यार से
कैसे तोल सकोगे?
आज मौन का पट प्यारे!
तुम कैसे खोल सकोगे?

हिय-हारक मृदुहीर-हार पर
लुटते लाख-हज़ार!
किस क़ीमत पर इन टुकड़ों को
तुम ले मोल सकोगे?

टुक रो देना अरे निर्दयी!
टुक रो देना उर को थाम!
हाय! यही होगा छोटे-से
इस सौदे का सच्चा दाम!


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