साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
भोजपुर, बिहार
1907 - 1984
मेरे मन का भार प्यार से कैसे तोल सकोगे? आज मौन का पट प्यारे! तुम कैसे खोल सकोगे? हिय-हारक मृदुहीर-हार पर लुटते लाख-हज़ार! किस क़ीमत पर इन टुकड़ों को तुम ले मोल सकोगे? टुक रो देना अरे निर्दयी! टुक रो देना उर को थाम! हाय! यही होगा छोटे-से इस सौदे का सच्चा दाम!
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