मेरा मान (कविता)

कोई सर पर उड़ता यान है,
कोई कारीगर करवान है।
कोई मिट्टी की पहचान है,
कोई चौखट का अभिमान है।

कोई शिक्षा में गुणवान है,
कोई सरकस की कमान है।
कोई खेलों का मैदान है,
कोई सीमा पे गलवान है।

कोई भक्ति में परवान है,
कोई सामाजिक समाधान है।
कोई इतिहासों का गान है,
कोई लिखता कलमी ज्ञान है

कोई व्यापारी ईमान है,
कोई मज़दूरी का मान है।
कोई दुग्ध की दुकान है,
कोई हरियाली खलियान है।

कोई पद्धति का निर्माण है,
कोई घर का रखता ध्यान है।
हर उँगली का बलिदान है,
बंद मुठ्ठी हिंदुस्तान हैं॥


लेखन तिथि : 2023
यह पृष्ठ 123 बार देखा गया है
×
आगे रचना नहीं है


पिछली रचना

दर्पण
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें