मेहन की धुनि को सुनिबे कों सनेह सने हिय माँहि सुखारे।
सोहैं सलोने-सरूप-सजे पख चित्रित चंद्रिका चारु सँवारे॥
प्रेम अलिंगन चुंबन में रत जोबन के मद में मतवारे।
नाचन लागे प्रिये! मुरवा गन बागन में बन में अब प्यारे॥
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