मौन का भी अर्थ है।
ग़र समझ तुम जाओगे।
शब्द से मौन का,
निहितार्थ अधिक पाओगे।
बात करती है नज़र भी,
इनसे भी संवाद हो।
चाहते नहीं अधर अब
हमसे कोई विवाद हो।
बात से, साथ की,
अब न कोई बात हो।
हाथ थामें संग चलो,
साथ हो तो साथ दो।
मूक का वाचाल से
ग़र वार्तालाप हो।
शांति से शत्रु का
अभिमान भी परास्त हो।
चुप रहें, कम कहें,
मन जब उदास हो।
आपकी पीड़ा है।
आप ही से आस लो।
निंदकों की निंदा को
झुक कर मान दो।
अपमान की गुंजार को
मौन से सम्मान दो।
मौन का भी अर्थ है।
ग़र समझ तुम जाओगे।
शब्द से मौन का,
निहितार्थ अधिक पाओगे।

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
