मंगलमय सब काम (दोहा छंद)

रोम-रोम तनु राममय, भक्त राम हनुमान।
भोर भयो सुमिरन करूँ, मंगलमय सब काम।।

रोग शोक परिताप सब, मिटे सकल संसार।
आंजनेय प्रभु चित्त धर, महिमा अपरम्पार।।

पवनपुत्र कपि महाबली, एकादश अवतार।
चिरंजीव आराध्य कलि, करुणाकर सुखसार।।

महावीर बजरंगबलि, हरो जगत संताप।
कोराना से मुक्ति कर, आज बना अभिशाप।।

जय कपीश हर आपदा, दीन दुखी लाचार।
धीर वीर मति अतिबली, कर भक्तन उद्धार।।

खग मृग नर मुनि देव जन, सदा करें तव ध्यान।
प्रेम भक्ति मय परसुखी, दो सबको वरदान।।

प्रगति शान्ति सुख लोक में, मन निकुंज अभिलास।
रामराज्य भारत पुनः, मारुत तुम बस आस।।


लेखन तिथि : 5 मई, 2020
यह पृष्ठ 205 बार देखा गया है
×

अगली रचना

राधे बिन गोविन्द कहँ


पिछली रचना

बुद्ध पूर्णिमा
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें