मधुमालती (गीत)

मेरे हृदय-निकुंज की मधुमालती!

किरण-कन तन पर गिराती,
शारदीया चंदिरा-सी;
कौन है, कर धन्य जो
मधुभार मुझ पर डालती?
मेरे हृदय-निकुंज की मधुमालती!

आ रही मेरे हृदय में;
ज्योति-सी, सूने निलय में!
कौन है, धर चरण जो—
स्मृति-दीप उर में बालती?
मेरे हृदय-निकुंज की मधुमालती!

वह मुझे उर से लगाती,
सुप्त पुलकों को जगाती;
कौन है, सुख मूर्च्छना जो—
सलज सहज सँभालती?
मेरे हृदय निकुँज की मधुमालती!

प्रतिपदा की शशिकला वह,
आ गई निस्सीम में बह!
कौन है, भव शून्य में जो—
नियति-प्रतिमा ढालती?
मेरे हृदय-निकुंज की मधुमालती!


यह पृष्ठ 309 बार देखा गया है
×

अगली रचना

कामना


पिछली रचना

आज
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें