मानलो यार हमें नशा होगा,
बे-ख़ुदी में ख़ुदा कहा होगा।
कल को नस्लें नई ये सोचेंगी,
आदमी किस तरह रहा होगा।
राज़ खोलें अगर इजाज़त हो,
रहने दो हादसा नया होगा।
ताज उसको लगा खिलौने सा,
देखना तुम यहीं धरा होगा।
फ़रिश्ते हर तरफ़ अमन के हैं,
ख़ून कैसे यहाँ बहा होगा।
मरते मरते भी ये कहा हमने,
क़ातिलों आपका भला होगा।
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