साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
सिमडेगा, झारखण्ड
1986
जलती हुई लकड़ियों का गट्ठर है मेरी पीठ पर और तुम मुझे बाँहों में भरना चाहती हो मैं कहता हूँ— तुम भी झुलस जाओगी मेरी देह के साथ।
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