कृष्ण (गीत)

प्रेम मगन मनमोहना, छवि प्रभु की प्यारी।
दूर करो कष्ट सोहना, केशव गिरधारी॥

पग ठुमक ठुमक प्रभु चलिहें।
पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥
मन श्याम धुन मतवारो।
तन मन मदमस्त नचइन्हें॥
पग ठुमक-ठुमक प्रभु चलिहें।
पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥

गोपीयन के प्राण के प्यारो।
प्रभु यशुमति नन्द दुलारो॥
छवि नैनन में सुख डारो।
प्रभु जनम जनम भव तारो॥
पग ठुमक-ठुमक प्रभु चलिहें।
पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥

पग घुँघरू तान निराली जी।
झूमे गोकुल के सब आली जी॥
बजे छूमक-छूमक कड़ी पायल।
करते हैं मन को घायल॥
पग ठुमक-ठुमक प्रभु चलिहें।
पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥

लगे सोहन कृष्ण मुरारी जी।
बढ़े गोपियन की बेक़रारी जी॥
सर केश बड़े हैं घुँघराले।
सोहे शिर पर काले काले॥
पग ठुमक-ठुमक प्रभु चलिहें।
पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥

चले ठुमक-ठुमक प्रभु आँगन।
सोहे कमर में प्रभु के कंगन॥
मन झूमर-झूमर कर नाचे।
तन कान्हा में बस राँचे॥
पग ठुमक-ठुमक प्रभु चलिहें।
पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥

तने भृकुटी नयन कजरारे।
दुबके हैं अधम भय खारे॥
छवि कृष्णण की मनभावन।
करे पातकि को भी पावन॥
उर प्रेम मगन होई जईहें।
हरि कृष्ण कृष्ण मन गईहें॥
पग ठुमक-ठुमक प्रभु चलिहें।
पद नूपुर छूमक करि बजिहें॥

बजे छूमक-छूमक कड़ी पायल।
करते हैं मन को घायल॥
उर प्रेम मगन होई जइहें।
हरि कृष्ण कृष्ण मन गइहें॥
पग ठुमक-ठुमक प्रभु चलिहें।
मग धन्य धन्य होई जइहें॥


रचनाकार : उमेश यादव
लेखन तिथि : 2023
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