कोशिश (नज़्म)

कई दिनों से मेरे सर में
सुब्ह शाम और रात रात भर
ना-उम्मीद परिंदे उड़ते रहते हैं
उन्हें रोकना मुश्किल है
लेकिन अपनी काली काली ज़ुल्फ़ों में
घोंसला करने से
मैं रोक तो नहीं सकता हूँ उन को


रचनाकार : जयंत परमार
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