कोई नदी है यह (कविता)

कोई नदी है यह
जिसका नाम
मैं नहीं जानता

जेठ में
आधी सूखी
और आधी बह रही है नदी

नदी ने
अपने आँचल को
दो भागों में
बाँट लिया है
जिसके आधे भाग में
खेती होती है
और आधे भाग से
सींचती है नदी
अपनी अधिया फ़सल
यह एक ऐसी नदी है
जिसके वक्ष में
जैसे एक स्तन
किसी माँ का हो
और दूसरा
किसी कुमारी का
इस आँचल की
शायद यही पहचान है
कि जेठ में नदी
आधी बूढ़ी
और आधी जवान है।


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