कोई ख़ुशबू, कोई साया, याद आया रात भर (ग़ज़ल)

कोई ख़ुशबू, कोई साया, याद आया रात भर,
जाने किसकी, याद ने हमको जगाया रात भर।

रात गुज़री बात करते तारिकाओं से जो ये,
सोचते हैं किससे ये रिश्ता निभाया रात भर।

रात भर जलती रही थी कुछ मसालें याद की,
जाने किसने याँ फ़लक पे दिन उगाया रात भर।

रात भर लिखते रहे ख़त में किसे हम हाल-ए-दिल,
कौन जाने, कौन हमको, याद आया रात भर।

रात को हमने कभी इस रात ने 'रोहित' हमें,
रख के अपने काँधे पे सर को सुलाया रात भर।


रचनाकार : रोहित सैनी
लेखन तिथि : 13 अगस्त, 2023
यह पृष्ठ 269 बार देखा गया है
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती: 2122 2122 2122 212
×

अगली रचना

प्यार में कोई दवा क्या है दुआ क्या है


पिछली रचना

जो बचाना चाहते हो बच भी जाएगा मगर
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें