किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह (ग़ज़ल)

किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह
वो आश्ना भी मिला हम से अजनबी की तरह

किसे ख़बर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी
छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह

बढ़ा के प्यास मिरी उस ने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल-लगी की तरह

सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना
क़ुबूल हम ने किए जिस के ग़म ख़ुशी की तरह

कभी न सोचा था हम ने 'क़तील' उस के लिए
करेगा हम पे सितम वो भी हर किसी की तरह


रचनाकार : क़तील शिफ़ाई
यह पृष्ठ 338 बार देखा गया है
×

अगली रचना

यारो कहाँ तक और मोहब्बत निभाऊँ मैं


पिछली रचना

हालात के क़दमों पे क़लंदर नहीं गिरता
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें