साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
दौसा, राजस्थान
1990
किसी से इश्क़ करना चाहिए था मुझे हद से गुज़रना चाहिए था वो आँखों में उतर कर रह गया है जिसे दिल में उतरना चाहिए था मोहब्बत पा के भी तुम ख़ुश नहीं हो तुम्हें तो डूब मरना चाहिए था ये क्या पहली दफ़ा में भर ली हामी ज़रा सा तो मुकरना चाहिए था हमें तन्हाई रास आने लगी है तुम्हारा साथ वर्ना चाहिए था
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