साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश
1919 - 2000
किसी ने भी तो न देखा निगाह भर के मुझे, गया फिर आज का दिन भी उदास कर के मुझे। सबा भी लाई न कोई पयाम अपनों का, सुना रही है फ़साने इधर उधर के मुझे। मुआ'फ़ कीजे जो मैं अजनबी हूँ महफ़िल में, कि रास्ते नहीं मालूम इस नगर के मुझे। वो दर्द है कि जिसे सह सकूँ न कह पाऊँ, मिलेगा चैन तो अब जान से गुज़र के मुझे।
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