साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
हापुड़, उत्तर प्रदेश
1970
ख़ुद को आसान कर रही हो ना हम पे एहसान कर रही हो ना ज़िंदगी हसरतों की मय्यत है फिर भी अरमान कर रही हो ना नींद सपने सुकून उम्मीदें कितना नुक़सान कर रही हो ना हम ने समझा है प्यार पर तुम तो जान पहचान कर रही हो ना
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