खिलौना (कविता)

सूखी रोटी ओढ़ना बिछौना
सर्दी गर्मी साथ है रहना
प्राणी जन के उदर भरते
सत्ता के गलियारों में हम
कठपुतली बन ग‌ए खिलौना।

सूखी रोटी ओढ़ना बिछौना
सींच-सींच कर पौधा नन्हा
धरती की शृंगार बढ़ाए
हरी-भरी मखमली सुनहरी
चेहरे की मुस्कान बढ़ाए।

जब सुख की है बारी आई
तब मिले ना कोई उठौना
युग-युग से हम बैठे ठल्ला
कोई मिले ना ऐसा बन्ना
सूखी रोटी ओढ़ना बिछौना
अब काला-पानी साथ है रहना।
सूखी रोटी...


रचनाकार : विनय विश्वा
लेखन तिथि : 2020
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