साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
मुम्बई, महाराष्ट्र
1981
मैंने पूछा– "तू इतनी उदास क्यूॅं है?" तो वह अपनी आँखें झुका ली। आप बीती कैसे बयाँ करती वो आँखों से अश्कों को ही छुपा ली। मैं कुरेदता और कैसे, इतना नादान नहीं था। उसकी डायरी के पन्ने पलटकर देखा, तो वह अपनी तकलीफ़ें गीत ग़ज़लों में छुपा ली है।
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