साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
उनको बिल्कुल आता नहीं सलीक़ा। घुटन भरे जीवन में खुला झरोखा। चारों खाने चित्त हुआ है धोखा।। घर से ज्यों ही निकला कोई छींका। किरणें भानु की रूपवती लग रहीं। मंदिर का घंटा बजता दूर कहीं।। धेला भर आश नहीं करते टीका।
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