साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3571
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
पशु-पक्षी और पेड़ों ने जीवन में कितने रंग भरे। है दिवस के काँधे पर चढ़ी धूप। होगा सागर सरिताओं का भूप।। चलते हुए समीर में देखो अलमस्ती के ढंग भरे। धरा पर डोली रश्मि की उतरती। तम की छाया रौशनी से डरती।। रस्मों-रिवाजों में अनोखी मंगलधुन उमंग भरे।
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