जिस दिन समझ लोगे मेरे प्यार को तुम,
मज़ा ज़िंदगी का आने लगेगा।
आँखों में सपने सजने लगेंगे,
नशा बेख़ुदी का छाने लगेगा।
अँखियों के रस्ते से दिल में समाना,
सीखा कहाँ तुमने सच-सच बताना,
क़ातिल अदाओं संग ज़ुल्मी इशारे,
बताओ तुम्हीं कैसे कोई जी सकेगा।
जिस दिन समझ लोगे...
उल्फ़त ना देखे है कभी भी घराना,
परवा किसी की ना करता फ़साना,
रखने को ज़िंदा मुहब्बत के क़िस्से,
बाती-दीये की भाँति हरदम जलेगा।
जिस दिन समझ लोगे...
ये दिल जबसे तेरा हुआ है दीवाना,
समझे है इसको तो पागल ज़माना,
मिला ना सहारा जो नादाँ दिल को,
ग़म-ए-बेवफ़ाई में तिल-तिल मरेगा।
जिस दिन समझ लोगे...
समझो दिल्लगी ना इसको हवा दो,
कभी पास आकर ज़रा मुस्कुरा दो,
तो बागों में कलियाँ खिलने लगेंगी,
बहारों का मौसम फिर छाने लगेगा।
जिस दिन समझ लोगे...
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