साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
गौतम बुध्द नगर, उत्तर प्रदेश
1913 - 1989
चिंतन-विचार, भावना-भक्त, या त्यागमयी कर्मानुरक्ति; हैं मार्ग अनेक एक मुझ तक मैं अखिल-व्याप्त जीवनीशक्ति! दो अधिकाधिक, पाओ समुचित; मैं ही असीम, जीवन सीमित! मैं सरस्वती दुर्गा लक्ष्मी, करतीं जो विश्व-मुकुल पुष्पित! मैं कालावधि के पंख लगा गति के रथ पर आरूढ़ सदा, चेरी हूँ जिसकी उसकी भी छाया छू आती यदा-कदा!
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