जय-जय भारतवर्ष हमारे (कविता)

जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय जय हिंद, हमारे हिंद,
विश्व-सरोवर के सौरभमय
प्रिय अरविंद, हमारे हिंद!

तेरे स्रोतों में अक्षय जल
खेतों में है अक्षय धान,
तन से मन से श्रम-विक्रय से,
है समर्थ तेरी संतान।

सबके लिए अभय है जग में
जन-जन में तेरा उत्थान,
वैर किसी के लिए नहीं है,
प्रीति सभी के लिए समान।

गंगा-यमुना के प्रवाह हे
अमल अनिंद्य , हमारे हिंद,
जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय-जय हिंद, हमारे हिंद!

तेरी चक्रपताका नभ में
ऊँची उड़े सदा स्वाधीन,
परंपरा अपने वीरों की
शक्ति हमें दे नित्य नवीन।

सबका सुहित हमारा हित है,
सार्वभौम हम सार्वजनीन;
अपनी इस आसिंधु धरा में
नहीं रहेंगे होकर हीन।

ऊँचे और विनम्र सदा के
हिमगिरि विंध्य, हमारे हिंद,
जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय-जय हिंद, हमारे हिंद!


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