साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बीकानेर, राजस्थान
1945
जितना भी जला दे सूरज सुखा दे पवन सूखी-फटी पपड़ियों में झलक आता है धरती का प्यार जल के लिए— गहरे कहीं जज़्ब है जो।
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