साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3571
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
जैसे शेरों की माँद खलक, होता चंदा के पास फ़लक।। हैं हरि दर्शन के प्यासे हम, मिल जाए उनकी एक झलक। यदि झुग्गी से पूछेंगे तो, होगी धन की बस तीव्र ललक। रातों के चेहरे पर पाया, मानो होती है साँझ अलक। गर्मी से सब झुलसे होंगे, जाता है अक्सर सूख हलक।
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