ईश्वर की महिमा (कविता)

जिसका जग में कोई नहीं,
जो सब से अज्ञान।
भक्ति के सागर में डूबो,
बन जाओगे महान।

एक हरि ही तो हैं तेरे,
बाक़ी सब अनजान।
बिन काम के आता न कोई,
बस आते भगवान।
यह है सत्य महान,
तू मान ले इंसान।

करुणा के सागर हैं ईश्वर,
जो देते हमको ज्ञान।
जो माँगो वो सब देते हैं,
कुछ लेते नहीं हैं श्याम।
वो ईश्वर बड़े महान,
तू जान ले इंसान।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 23 मई, 2002
यह पृष्ठ 272 बार देखा गया है
×


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें