इंसान नहीं हम पंछी हैं,
हम ताल-मेल कर लेते हैं। 2
है कौन सिखाता ज्ञान हमें,
पर मेल-जोल कर लेते हैं। 2
मिलजुल कर हम सब रहते हैं,
सब एक दिशा में उड़ते हैं।
ख़ुद की मेहनत का खाते हैं ,
पर आसमान छू लेते हैं।
इंसान नहीं... 2
है कौन सिखाता... 2
कुदरत के नियम निभाते हैं,
जीवन का गीत सुनाते हैं,
भोजन अपना ख़ुद लाते हैं,
घर अपना ख़ुद बुन लेते हैं।
इंसान नहीं... 2
है कौन सिखाता... 2
हम नही किसी को छलते हैं,
ना रूप बदल कर मिलते हैं,
आपस मे प्यार निभाकर के,
हम जीवन को जी लेते हैं।
इंसान नहीं... 2
है कौन सिखाता... 2

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