वहाँ जब मैं पहली बार पहुँचा
तो पहली बार नहीं पहुँचा था
कुछ चीज़ें स्पष्ट थीं
एक आकर्षक छवि
लेकिन थोड़ी-सी कालिमा
और उनींदापन लिए
उठी ही उठी ही तब वह
तमाम चीज़ें बिखरी थीं
उसके साथ
अपनी पूरी व्यवस्था की शक्ल में
कोई गंध महसूस होती थी
हालाँकि वहाँ कोई क़मीज़ नहीं लटक रही थी
मैं उस घर में था कहता हुआ झरना
सीधे समुद्र में डूबने को।

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