मित्र-मित्र की कही जान जान जरा जवान,
मेरे मीत-मीत का कठिन कर्त्तव्य कहान।
वफ़ादार विश्वसनीय विवेकी विचारक,
सच्चाई समझदारी संग सोचत सोहान।
ग़लत ग़लती को कहे समर्थक सत्य का,
सहानुभूति सिखावत साथी जाने जहान।
साथ सुख-दुख देत सहायक सागर-सा,
निस्वार्थी निरभिमानी “मारुत” मीत महान॥
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