हम कहाँ हैं ये पता लो तुम भी
बात आधी तो सँभालो तुम भी
दिल लगाया ही नहीं था तुम ने
दिल-लगी की थी मज़ा लो तुम भी
हम को आँखों में न आँजो लेकिन
ख़ुद को ख़ुद पर तो सजा लो तुम भी
जिस्म की नींद में सोने वालों
रूह में ख़्वाब तो पालो तुम भी

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
