हम हिन्द के वीर जवान, हमारा क्या कहना।
नहीं कोई हमारे समान, हमारा क्या कहना।।
नहीं किसी से डरते हैं हम,
सदा आगे को बढ़ाते क़दम,
ना रोक सकें तूफ़ान, हमारा क्या कहना।
नहीं कोई हमारे समान, हमारा क्या कहना।।
शरीर के हैं हम हट्टे-कट्टे,
करें दुश्मन के दाँत ये खट्टे,
हम लड़ते सीना तान, हमारा क्या कहना।
नहीं कोई हमारे समान, हमारा क्या कहना।।
हमें इश्क़ है अपने वतन से,
करें इसकी रक्षा तन-मन-धन से,
हम लुटा दें इसपे जान, हमारा क्या कहना।
नहीं कोई हमारे समान, हमारा क्या कहना।।
समुन्द्र सिंह ये अरमान हमारा,
सदा लहराता रहे तिरंगा प्यारा,
बसें इसमें हमारे प्राण, हमारा क्या कहना।
नहीं कोई हमारे समान, हमारा क्या कहना।।

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