खेल रहा होली, शर भर भर
तेजस का तूणीर!
बेध रहा भूरज की देही
सूरज अमित अधीर!
प्राणशक्ति का धनुष बनाया,
तेज-बीज के बान!
तरुण अरुण रवि उगा क्षितिज पर
भोर बनी मुस्कान!
वल्कलधारिण धरा किरातिन
रवि किरात रणधीर!
खेल रहा होली, शर भर भर
तेजस का तूणीर!
मदोन्मत्त फाल्गुन फिर आया,
फिर रंजिश नभ नील!
फिर सतरंग ब्रजरज उड़ती बन
नयन कल्पनाशील!
गोरसधारिणि धरा अहीरिनि
सूरज मत्त अहीर!
खेल रहा होली, शर भर भर
तेजस का तूणीर!
तंद्रातिमिर वसन, माटी तन,
क्षण भर का उल्लास!
फिर भी धरती के जीवन में
आता है मधुमास!
किलक रही कलिका बन धरती,
सूरज मधुकर वीर!
खेल रहा होली, शर भर भर,
तेजस का तूणीर!

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