हिन्दी! तू भारत की गंगा है (कविता)

माँ गंगे की कोख से
जन्म लिया मैंने
भारत के
धर्म, कर्म, ज्ञान और त्याग के उस चौराहे पर
जहाँ हमने सीखा
आगे बढ़ना
माता-पिता रूपी आदर्श भाषा हिन्दी से।
कहते हैं
जो हमारे जीवन का
निर्माता है
माँ ही उसके नाम की
सार्थकता है।
भारतीय जीवन का
निर्माता
हिन्दी! तू ही तो है
इसलिए कहता हूँ तुझे
ऐ हिन्दी! तू
भारत की गंगा है।


रचनाकार : पारो शैवलिनी
लेखन तिथि : 1970
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