साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बेगूसराय, बिहार
1983
जाग उठा है हिंदुस्तान, कश्मीर उन्हें हम नहीं देंगे। अगर घुसने की कोशिश की, तो चीर तुम्हे अब हम देंगे। सारा देश अब एक हुआ है, दान उन्हें हम नहीं देंगे। बहुत हो गई बात-चीत, कफ़न तुम्हें अब हम देंगे। रक्त हमारा खौल उठा है, क्षमा उन्हें हम नहीं देंगे। उग्र हमारा तांडव तुम देखो, भस्म तुम्हे हम कर देंगे।
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